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संपादकीय

संपादकीय-:बचपन की अटकेलियों से दूर किताबो और स्कूलों की परछाई से दूर धूप की गरम छांव में देता है दिखाई ……बालश्रम।

(लेख)-:आपकी और हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे हम और आप रोज़ देखते और सुनते है जरा छोटू टेबल पर कपड़ा मार तो जरा छोटू 2 नबंर टेबल पर रोटी दे कर आ छोटू चाय के कप जल्दी धो के ला जो अक्सर हमें कई जगहों पर सुनाई पड़ते हैं यही …

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संपादकीय-: सोशल मीडिया के इस दौर में बदलता समाज, दूर होते रिश्ते।

सोशल मीडिया की क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया हर उम्र के लोगों का साथी बन गया है। सोशल मीडिया का उदय होने से पहले लोग अपने रिश्तेदारों, अपने संबंधियों, मित्रो से फोन कर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का कुशलक्षेम पूछने के लिए फोन किया करता था और साथ …

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