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संपादकीय-:बचपन की अटकेलियों से दूर किताबो और स्कूलों की परछाई से दूर धूप की गरम छांव में देता है दिखाई ……बालश्रम।

(लेख)-:आपकी और हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे हम और आप रोज़ देखते और सुनते है जरा छोटू टेबल पर कपड़ा मार तो जरा छोटू 2 नबंर टेबल पर रोटी दे कर आ छोटू चाय के कप जल्दी धो के ला जो अक्सर हमें कई जगहों पर सुनाई पड़ते हैं यही नहीं खुद कई बार भी हम इन शब्दों को अपनी जुबान से निकलते भी होगे पर कभी किसी का इस ओर ध्यान नही गया कि वो छोटू कौन है क्या है उसका असली नाम, वो कितना बड़ा है क्या वो इस काम से खुश है और ऐसी क्या मजबूरी है जो पढ़ने की उम्र मे ये मासूम ऐसे काम कर रहा है।
नगर में बाल मज़दूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है यहां सैकड़ो बाल श्रमिक है जो चाय की रेहड़ी ,ढाबे या कबाड़ के ढेर में अपने लिए जीने की राह तलाशते हैं कई कबाड़ व्यवसायियों के यहां 11 से 14 वर्ष के बच्चे कार्य कर रहे है यही नहीं हम अक्सर देखते है कि छोटे-छोटे ढाबे रेड़ियो पर मिलता खाना चाय के खोखे बड़ी –छोटी दुकानो पर हम बच्चों को काम करते देखते है जबकि सरकार ने सख्ती से बालश्रम पर रोक लगाई है नगर में भी बाल मजदूरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है यहां सैकड़ो की संख्या मे बाल श्रमिक है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर खानापुर्ति की जाती है। इन्हें मुक्त कराने के लिए जिला श्रम विभाग की टीम कार्यवाही के नाम पर कागजी खाना खानापूर्ति में लगी रहती है, उसकी एक वजह यह भी है कि इन बच्चों के पुर्नवास की कोई उचित व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर नहीं हो पाती। ऐसे मे दो वक्त की रोटी की खातिर बच्चे अपनी मर्ज़ी से बालश्रम करने को मजबूर है। बालश्रम की ओर अगर बारीकी से नजर की जाए तो शायद इसका कारण है गरीबी और गरीबी के कारण बढ़ती अशिक्षा। आज भी देश का एक बहुत बढ़ा हिस्सा गरीबी उस सीमा पर है जहां शिक्षा तो दूर दो वक्त की रोटी भी जुटाने मे जुटे लोग असर्मथ है परिवार की जरुरत घर का मुखिया पुरा नही कर पाता इसलिए घर के बच्चों को कार्य करने के लिए आगे कर दिया जाता है जो भी काम मिले जहां भी मिले जैसा भी काम हो पगार कम हो या ज्यादा..दिन हो या रात बस काम मिलना चाहिए और मासुम से बच्चे का बचपन छिन कर घर मे पैसा आना चाहिए ये परिवार क्या करे? सरकार की तरफ से सहायता की कोई उम्मीद नजर नही आती ऐसे में ये परिवार क्या करें मजबुरन बच्चों को कही काम दिलाके बस बना देते हैं और छीन लेते है उनसे उनका बचपन फिर दिखाई देते है बचपन की अटकेलियों से दूर किताबो और स्कूलों की परछाई से दूर धूप की गरम छांव में देता है दिखाई ……………बालश्रम

क्या है बाल श्रम कानून…

बालश्रम मामले मे आरोपी के खिलाफ बालश्रम नियंत्रण एव निषेध अधिनियम 1986 के तहत 3 महीने की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष होती है।

कार्यवाही में कानूनी पेच…

बाल श्रम कानून के नियमानुसार कार्यवाही करना बड़ा पेचीदा हो जाता है बिभाग द्वारा कार्यवाही करने पर पकडे गए बाल श्रमिक खुद की उम्र ज्यादा बताता है 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे के मिलने पर ही कार्यवाही हो सकती है। ऐसे में उम्र की सत्यता के लिए पहले बच्चे का मेडिकल मुआयना कराकर उसकी सही उम्र का पता लगाया जाए, तभी मामला पंजीकृत किया जा सकता है।

काल्पनिक चित्र

  • लेखक आसिम अली के यह स्वतंत्र विचार है लेखक पेशे से अधिवक्ता है इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में लम्बा अनुभव है।
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